३७९ ॥ श्री गाज़ी मियां जी ॥ (६)
पद:-
मन को ठीक ठिकाने लाओ।
सतगुरु करि सुमिरन बिधि जानो जियतै तन पुलकाओ।
ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि रूप सामने छाओ।
अनहद सुनो पिओ घट अमृत सुर मुनि संघ बतलाओ।
नागिन जगै चक्र षट बेधैं सातौं कमल खिलाओ।५।
उड़ै तरंग बोल नहिं फूटै बिहँसि बिहँसि हरषाओ।
नैनन ते शीतल जल बरसै रह रह शीश हिलाओ।
गाज़ी कहैं अन्त निज पुर हो आवागमन मिटाओ।८।