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२५९ ॥ श्री अबदुल रहिमान शाह जी ॥


पद:-

सतगुरु से जप बिधि जान ले सिय राम दें दरशन सफ़ा।

धुनि ध्यान लय परकाश हो जियतै में पूरी ले नफ़ा।

सुर मुनि मिलैं अनहद सुनै अमृत चखै छूटै दफ़ा।

माया असुर यमदूत सूत न आ सकैं होवैं रफ़ा।

मन से बचन से दीन बनि मति हो किसी पर तुम खफ़ा।

अन्त तन तजि घर चलो मिटि जाय जग की तब हँफ़ा।६।