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२०२ ॥ श्री कमाल शाह जी ॥


पद:-

चुपके चुपके भजन करि लीजै।

सतगुरु से सुमिरन बिधि जानि के तन मन प्रेम में दीजै।

ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि पाय के अमृत पीजै।

अनहद सुनो देव मुनि दर्शैं सब संघ बैठक कीजै।

तन के असुर भागि सब जावैं रोवैं औ कर मीजैं।

सिया राम प्रिय श्याम रमा हरि सन्मुख दर्शन लीजै

अजपा सूरति शब्द का यह है कहत शम्भु जेहि बीजै।

रं है नाम राशि का प्रभु के जो तिरगुन नहिं भीजै॥

जियतै करतल करि के भाई निर्भय जुग जुग जीजै।

नर तन पाय जागि उठि चेतो समय न बिरथा छीजै॥