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१६१ ॥ श्री किशोर दास जी ॥


चौपाई:-

बृद्ध अवस्था तन बल हीना। मांग मधुकरी भोजन कीना॥

अन्त समय हरि पुर भा डेरा। सब प्रकार तँह सुःख घनेरा॥

कहै किशोर दास हे ताता। मानो सत्य कहेन जो बाता।३।