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१३४ ॥ श्री अल्लर शाह जी ॥


पद:-

कृपा के पुंज सीता राम राधे श्याम कमला बिष्णु को भजि लो।

करो सतगुरु मिलै मारग जियति खुब तन औ मन मंजि लो।

ध्यान धुनि नूर लय होवै रूप षट सामने सजि लो।

न होवै एक पल अन्तर प्रेम सुरमा दृगन अंजि लो।४।

कहैं हरि यश को आ सुर मुनि सुनो औ संग में गंजि लो।

हर जगह होयगी खातिर दीन बनि गढ़ि के मढ़ि बजि लो।

ताग ममता के सब खींचो एक रस्सी कड़ी भंजि लो।

मिलै पिन्शन यहीं पहलै वक्त आने पर तन तजि लो।८।