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२५ ॥ श्री हरी राम जी ॥


पद:-

हरि पुर की डगर बतावै सो सतगुरु कोई।

नाम कि धुनि में लगावै सो सतगुरु कोई।

ध्यान प्रकाश मिलावै सो सतगुरु कोई।

शून्य में लै पहुँचावै सो सतगुरु कोई।

हर दम झाँकी करावै सो सतगुरु कोई।

जियतै भव से छोड़ावै सो सतगुरु कोई।६।