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८७९ ॥ श्री बीरयार सिंह जी ॥


पद:-

जिन राम नाम की कसरत करि डण्ड बैठक मुगदर भाँज्यो है।

तिनकी समझौ मंगलकारी जियतै सब साज को साज्यो है।

धुनि ध्यान प्रकाश औ ले पायो तन मन कसि प्रेम में माज्यो है।

निर्भय निर्बैर सदा जानो पितु मातु क बालक बाज्यो है।

सुरमुनि करते कीरतन संग में लखि हर्षित ह्वै कै गाज्यो है।

बीरयार सिंह कहैं अन्त में चलि साकेत में हरि ढिग राज्यो है।६।