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८०२ ॥ श्री चुन्नी शाह जी ॥


शेर:-

चुन्नी कहैं चुन लो जहां में एक है हरि नाम बस।

सतगुरु बिना मिलता नहीं काहे कि वह सब की है नस।१।

देख लो फिर सामने हर दम रहा प्यारा है हंस।

छूटै कपट एक ओर हो धुनि ध्यान लय में जाव फंस।२।

नूर चम चम हो रहा चख लो टपकता अमी रस।

जब तक जियति देखो नहीं छूटैगि कैसे मन की गस।३।

तन मन से प्रेम लगाय के अजपा कि जाप में जाव लस।

सूरति शबद की जाप अजपा पकड़ ले फिर उस को कस।४।