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७९७ ॥ श्री पेमन शाह जी ॥


पद:-

पिता माता जगत के जो उन्हें क्यों भूल कर बैठा।

बना बाबू यहां कपटी फिरत चारों तरफ़ ऐंठा।

अन्त यमदूत मुख तेरे करैं जलता हुआ ग्वैठा।

कहैं पेमन भजै हरि को छुटै भव जाल का ठैंठा।४।