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७९५ ॥ श्री अब्बास हुसेन जी ॥


पद:-

बिना सुमिरन के सुन ले तू तेरी किसमत में क्या होगा।

अजा बेशर्म का सेहरा तेरे मुख पर पड़ा होगा।

गले में तौक़ लानत की तू दोज़क में टंगा होगा।

पीव मल से बदन सारा तेरा अहमक रंगा होगा।

कयामत के समय तुझ पर चढ़ा शैतां कड़ा होगा।

कहैं अब्बास फिर कबहूँ जहां में आगधा होगा।६।