७१५ ॥ श्री कुद्दन शाह जी ॥ (२)
पद:-
मादर फादर का सच्चा पिसर है वही जिसने मुरशिद के कदमों में
तन मन दिया।१।
ध्यान धुनि नूर लय में समाया बिहंसि साज अनहद सुना
जाम कौसर पिया।२।
देव मुनि सब मिलैं जाग शक्ती गई चक्र चालू भये
खुशबू कमलन दिया।३।
पाय मुक्ति औ भक्ती अमर औ अजर हर समय सामने
लखता रघुबर सिया।४।
सोरठा:-
स्वांसा समै शरीर कुद्दन कहै अनमोल है।
आलस्य है बे पीर लूटत बांधे गोल है।१।
दोहा:-
आलस्य के जीते बिना को होवै भव पार। कुद्दन कह
सुर मुनि कह्यो सत्य बचन सुख सार।१।