साईट में खोजें

७०६ ॥ श्री कागा शाह जी ॥


पद:-

सतगुरु करि जो कोइ जागा जी तेहि अजा क बान न लागा जी।

धुनि ध्यान नूर लय पागा जी सो रूप सामने तागा जी।

तन त्यागि अचलपुर भागा जी जिन कियो समय नहिं नागा जी।

सब चोर पकड़ि कर टांगा जी ह्वै गयो बिमल बैरागा जी।

सुर मुनि दियो आसिक बागा जी गयो टूटि द्वैत क धागा जी।

यक बिनय करत हैं कागा जी जो नाम के रंग में रांगा जी।६।