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६७७ ॥ श्री बैयाँ शाह जी ॥


पद:-

बिहँसौ अबिनाशी की गोद में सतगुरु करि जग जीवन थोर।

ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि हर शै से हो शोर।

सुर मुनि मिलैं लिपटि मुख चूमैं प्रेम में ह्वै सर बोर।

अनहद सुनौ चखौ नित अमृत बिधि गति भाल से तोर।

बैयाँ शाह कहैं यह मारग मिलै बनै जब चोर।

अन्त त्यागि तन निजपुर राजै टूटै जग से डोर।६।