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६२५ ॥ श्री ठाकुर चन्द्र शेखर सिंह जी ॥


पद:-

सतगुरु बिन कोई नाम न जानै।

कोटिन में कोई शूर बीर जन तन मन प्रेम में सानै।

राम नाम धुनि तब खुलि जावै रोम रोम सुख मानै।

ध्यान प्रकाश समाधी होवै करै अमी नित पानै।

अनहद सुनै देव मुनि भेटै सब में समता आनै।५।

हर दम राम सिया की झांकी सन्मुख छवि छहरानै।

मुद मंगल ता को भा सब दिशि या सम और न ज्ञानै।

कहैं चन्द्रशेखर सिंह तन तजि अचल धाम लै ठानै।८।