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६०८ ॥ श्री ठाकुर करन सिंह जी ॥


पद:-

सतगुरु करो भेद सब जानो नर तन का फल लेव जियत भर।१।

सन्मुख राम सिया प्रिय मोहन कमला बिष्णु लखौ गिरिजा हर।२।

लय परकाश ध्यान धुनि होवै सुर मुनि मिलैं प्रेम से हंस कर।३।

अनहद नाद सुनो निशि बासर तन तजि पहुँच जाव अपने घर।४।