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६०५ ॥ श्री झरोखे दास जी ॥


दोहा:-

वैकुण्ठी पालौ नहीं जो चट लेवै पाय।

राम नाम तब सिद्धि हो जब दुविधा हटि जाय।१।


सोरठा:-

जियत जाव ह्वै पास तब काहे जन्मो मरौ।

घूमत बने उदास तन मन हरि रंग में भरौ।१।

कहैं झरोखे दास सतगुरु करि सुमिरन करो।

लय धुनि ध्यान प्रकाश रूप सामने हो खरो।२।