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५७१ ॥ श्री जगदानन्द जी ॥


पद:-

श्याम श्यामा सामने हर दम लखौ सुमिरन करो।

सतगुरु से जप बिधि जानि कै जब शब्द पै सूरति धरो।

धुनि ध्यान लय परकाश हो तब जियत ही भवनिधि तरो।

सुर मुनि मिलैं अनहद सुनो अमृत पिओ घट में भरो।

दीनता औ शान्ति गहि फिर प्रेम तन मन में ठरो।

तन त्यागि जगदानन्द कह निज धाम लो फिर नहिं टरो।६।