साईट में खोजें

५६९ ॥ श्री जहूर शाह जी ॥


पद:-

रमा है सब में संवलिया प्यारा बिचार देखो बिचार देखो।

मुरशिद से जप विधि का लो इशारा बिचार देखो बिचार देखो।

खुलै त्रिगुन के जहां किवाँरा बिचार देखो बिचार देखो।

धुनि ध्यान लय नूर घट अपारा बिचार देखो बिचार देखो।

तभी तो सन्मुख में हो दिदारा बिचार देखो बिचार देखो।५।

सुर मुनि मिलैं नित करैं दुलारा बिचार देखो बिचार देखो।

अनहद बजै साज सुनिये सारा बिचार देखो बिचार देखो।

चखौ अमी बहता गगन ते धारा बिचार देखो बिचार देखो।

निर्भय जगत में करो गुजारा बिचार देखो बिचार देखो।

तन त्याग बैठो भवन मंझारा बिचार देखो बिचार देखो।१०।