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५५२ ॥ श्री शिव राम रैदास जी ॥


पद:-

क्या राम कृष्ण नारायण के उर श्री भृगु चरण चिन्ह ताता।

मारयो मुनि ने नारायण उर क्षीर समुद्र जाय लाता।

सुर मुनि बेद शास्त्र सब गावत या से जग में विख्याता।

राम कृष्ण भी निज उर धारयो गुनिये भक्तों यह बाता।

तीनौ प्रभु एकै नहि अन्तर सत्य भेद मैं बतलाता।५।

दीन दयाल भक्त दुख भंजन पूरन सुख के हैं दाता।

सतगुरु करि सुमिरन विधि जानै सो निज सन्मुख कर पाता।

ध्यान प्रकाश समाधि होय जब सुधि बुधि तहं चलि विसराता।

ररंकार धुनि रग रोवन हो तन मन प्रेम रहे माता।

अमृत पियै सुनै घट अनहद सुर मुनि संग प्रभु यश गाता।१०।

नागिन जगै चक्र षट वेधैं कमल खिलैं सातौं भ्राता।

मुक्ति भक्ति जियतै हो करतल छूट जाय जग से नाता।१३।