साईट में खोजें

५४० ॥ श्री धोका शाह जी ॥ (२)

सतगुरु से जप विधि जानि ले सो जियत सब सुख पायगा।

धुनि ध्यान लय परकाश हो सुर मुनि के संग बतलायगा।

अनहद सुनै अमृत चखै तन मन सदा हरखायगा।

राम सीता की छटा छवि सामने में छायगा।

जब तक रहे जग में विमल हरि चरित नित प्रित गायगा।५।

सन्मुख हुआ सो जानिये तन त्यागि गर्भ न आयगा।

प्रेम भाव सतगुरु में जाको जियतै सो भव तरि जावै।

ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि हर शै से सो सुनि पावै।

अनहद सुनै अमी रस चाखै सुर मुनि संग नित बतलावै।

नागिन जगै चक्र सब वेधैं कमल सात खिलि दरसावै।१०।

उसी क प्रेम भाव वनि सतगुरु जो चाहैं सो समझावैं।

राम सिया की झांकी सन्मुख सदा रहै नहिं विलगावै।

यहां वहां ताकी साका का झण्डा हर दम फहरावै।

निर्भय औ निर्वैर दीनता शान्ति से हरि के गुन गावै।१४।