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४७२ ॥ श्री हलनी माई जी ॥


पद:-

करो करो सुमिरन सुमिरन सुमिरन।

मारो मारो तन मन तन मन तन मन।

होवैं होवैं परसन परसन परसन।

देवैं देवैं दरशन दरशन दरशन।

जीतो जीतो भव रन भव रन भव रन।५।

लीजै लीजै तप धन तप धन तप धन।

पावो पावो रोशन रोशन रोशन।

जावो जावो लय सन लय सन लय सन।

खुलै खुलै नाम झन नाम झन नाम झन।

मिलै मिलै ध्यान पन ध्यान पन ध्यान पन।१०।

छूटै छूटै जब तन जब तन जब तन।

चलौ चलौ घर छन घर छन घर छन।१२।