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३८९ ॥ श्री घण्टा बाज नट जी ॥


पद:-

मन मन्दिर में बीज अस्थापौ।

विधवत कृत जानि सतगुरु से जियतै भव दुख ढांपौ।

ध्यान धुनी परकाश दशा लय पास न मांझा नापौ।

सुर मुनि सब के दरश होंय नित अनहद सुनौ अलापौ।

सन्मुख राम सिया रहैं हर दम नैन खुलै चहै झांपौ।

अन्त त्यागि तन निजपुर राजौ फिर क्यों गर्भ में कांपौ।६।