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३३७ ॥ श्री कनीफ नाथ जी ॥


पद:-

मारो राम नाम का डाका।

जिह्वा कर औ नयन न डोलैं सूरति शब्द में टांका।

ररंकार धुनि जारी होवै मिटि जावै दुख छाका।

ध्यान प्रकाश समाधी होवै तन मन ह्वै जाय बांका।

सुर मुनि आय प्रेम से भाई देंय मधुर स्वर हाका।५।

अनहद सुनौ छकौ नित अमृत मिटैं भाल के आँका।

मातु पिता हर दम रहैं सन्मुख संग में तीनों काका।

सतगुरु करौ जियत सब जानौ ऐसा नाम पताका।

नागिन जगै चक्र हों चालू खिलैं कमल के फांका।

सुखमन स्वांस विहंग मारग ह्वै जाय अपन घर ताका।१०।

शान्ति दीनता प्रेम बिना है पास खजाना ढाका।

कानीफ़ नाथ कहैं मस्त बनो तब चलै युगै युग साका।१२।