साईट में खोजें

३३२ ॥ श्री पं. श्याम किशोर जी ॥


पद:-

राम श्याम रूप रंग अजब सलोनो लागल।

सतगुरु करि लखो काटो भव केर दागल।

भाल में तिलक राजै दृगन में सोहै काजल।

धनु शर कर धारे मुरली मधुर बाजल।

ध्यान परकाश धुनि लय में सुधि बुधि पागल।५।

अनहद नाद घट बाजै सुनो संघ रागल।

सुर मुनि दर्श देंय बसु जाम जौन जागल।

अन्त तन छोड़ि चलौ छूटै गर्भ उर्ध टांगल।

तन मन प्रेम करि भजिये न होय नागल।

नर तन पाय चेतो वृथा वयस जात खांगल।१०।

छटा सिंगार छवि लखि काम रति भागल।

हर दम देखौ शोभा यही वरदान मांगल।१२।