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३२३ ॥ श्री सफ़ा जान जी ॥


पद:-

सफा हो पाप तजि बहिनो करो मुरशिद लखौ जौहर।१।

ध्यान धुनि नूर लय पावो सामने होय तब शौहर।२।

मिलैं सुर मुनि सुनै अनहद मधुर धुनि क्या बजै मौहर।३।

सखुन गर मानि मम जाओ जियति करतल हो जग दौहर।४।