साईट में खोजें

३०९ ॥ श्री पहलवान दीदी जी ॥


पद:-

द्वैत बौरहा कूकुर यारों या को मति कोइ पालो जी।१।

काटि के तुम्हैं देय चौपट करि कितने घर यह घालो जी।१।

सुमिरन पाठ कीरतन पूजन में लगाय दे तालो जी।३।

अन्त समय यमदूतन सौंपै नर्क में रोवौ हालो जी।४।


दोहा:-

मन सरपट दौरत फिरत, भजन करै किमि जीव।

सतगुरु करि या को गहै, पासै पावै पीव।१।