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३०४ ॥ श्री हुशियारी लाल वैश्य जी ॥


पद:-

काम क्रोध मद लोभ मोह औ रज तम सत माया जानो।

पांच तत्व प्रकृती पचीस औ चित मिलि कै चालिस मानो।

यह सब बांट बटोरि के यारों धरिये ठीक ठेकानो।

दया धर्म के पलरे करिये डाँड़ी सत्य लगानो।

शान्ति शील सन्तोष दीनता सरधा छिमा मिलानो।५।

इनकी जोती डारि पकड़ विश्वास ज्ञान ते तानो।

सतगुरु से तौलन विधि सीखो तन मन प्रेम में सानो।

कहैं हुशियारी लाल फेरिये हर दम नाम क बानो।८।