२९९ ॥ श्री खोदा बख्श जी ॥
पद:-
जानि सतगुरु से जियतै में जौन भवपार हो जाये।
वही औरौं कि नैया का खेवने हार हो जाये।
ध्यान धुनि नूर लय पाकर विमल हरि के चरित गाये।
सुनै अनहद मधुर धुनि क्या विलग तन से न मन जाये।
एक रस हर समय रहता मधुर बानी से बतलाये।५।
देव मुनि आय दें दर्शन प्रेम करि उनसे लिपटाये।
सदा सिय राम राधे श्याम लक्षमी विष्णु लखि पाये।
त्यागि तन चढ़ि सिंहासन फिरि जाय निजपुर न जग आये।८।