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२०७ ॥ श्री धन्नो माई जी ॥


पद:-

सिया कन्त राधे कन्त कमला कन्त सन्मुख छा रहे।

देव मुनि सब दर्श दें हरि यश विमल क्या गा रहे।

धुनि ध्यान लय परकाश हो सातौं कमल दरशा रहे।

षट चक्र हर दम चाक से निज निज ठौर घुमा रहे।

नागिनि जगै सब लोक पासै देखने में आ रहे।५।

सतगुरु को करि करतल किया ते चढ़ि सिंहासन जा रहे।

जे रहे दुविधा में परे ते जग में चक्कर खा रहे।

धन्नो कहैं सुमिरन करो यह तन तो एक दिन ना रहे।८।