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१८२ ॥ श्री प्यारी जान जी ॥

जारी........

दिवस औ दिवस के दिवस की शक्ति है।

रैन औ रैन के रैन की शक्ति है।

नेम औ नेम के नेम की शक्ति है।

टेम औ टेम के टेम की शक्ति है।

मौन औ मौन के मौन की शक्ति है।

पुष्ट औ पुष्ट के पुष्ट की शक्ति है।

खुश्क औ खुश्क के खुश्क की शक्ति है।

तरी औ तरी के तरी की शक्ति है।१२०।

महूर्त औ महूर्त के महूर्त की शक्ति है।

घड़ी औ घड़ी के घड़ी की शक्ति है।

तिथी औ तिथी के तिथी की शक्ति है।

पला औ पला के पला की शक्ति है।

दण्ड औ दण्ड के दण्ड की शक्ति है।

अणू औ अणू के अणू की शक्ति है।

श्राप औ श्राप के श्राप की शक्ति है।

आशिष औ आशिष के आशिष की शक्ति है।

खौफ औ खौफ के खौफ की शक्ति है।

निडर औ निडर के निडर की शक्ति है।१३०।

सृष्टि औ सृष्टि के सृष्टि की शक्ति है।

शक्ति औ शक्ति के शक्ति की शक्ति है।

द्वीप औ द्वीप के द्वीप की शक्ति है।

खण्ड औ खण्ड के खण्ड की शक्ति है।

भुवन औ भुवन के भुवन की शक्ति है।

लोक औ लोक के लोक की शक्ति है॥१३६।