१६८ ॥ श्री शीरीं जान जी ॥
पद:-
मुरशिद से जानो भेद जब जियतै कटै भव जाल जी।१।
क्या ध्यान लय परकाश हो खुलि जाय नाम क तार जी।२।
महबूब दरशै सामने साजे अजब सिंगार जी।३।
शीरीं कहैं मानो सखुन वरना यह तन बेकार जी।४।
पद:-
मुरशिद से जानो भेद जब जियतै कटै भव जाल जी।१।
क्या ध्यान लय परकाश हो खुलि जाय नाम क तार जी।२।
महबूब दरशै सामने साजे अजब सिंगार जी।३।
शीरीं कहैं मानो सखुन वरना यह तन बेकार जी।४।