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१२९ ॥ श्री लाला लाल बहादुर जी ॥


पद:-

हरि मोहिं चोर बहुत दुख देते।

चारों तरफ से घेरे पापी जबरन संग में लेते।

कैसे इनसे उबरैं स्वामी हर दम रहत ये चेते।

अधरम ही का पाठ पढ़ावत जम पुर की दिशि खेते।

निद्रा आलस इन्हैं न आवत कौन जड़ी वे सेते।

सतगुरु देहु मिलाय कृपा निधि इनको तब हम रेतें।६।