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१०२ ॥ श्री विन्देश्वरी सिंह जी ॥


पद:-

झूठी बातों में क्या है धरा भाइयों

याद कर लो यहाँ राम औ जानकी।१।

चार दिन का तमाशा यह सब जानते

अपने जीने में तुम सब बड़ी हानि की।२।

किया सतगुरु न नर तन का पाया मज़ा

नूर लै क्या अजब बात धुनि ध्यान की।३।

कहता विन्देश्वरी अन्त जमदूत आ

सब कसर काढ़ लेंगे बुरे ज्ञान की।४।