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७८ ॥ श्री नन्हे खाँ जी ॥


पद:-

मुरशिद से जिसका प्रेम हो उसका ठिकाना ठीक है।१।

धुनि ध्यान लय परकाश हो यह वचन पत्थर लीक है।२।

रूप सन्मुख राम सीता का रहै क्या नीक है।३।

कहता है नन्हे खां भजन बिन तन बसर का फीक है।४।


शेर:-

सैर मन करता जहां में बैठ है तसवी लिये।

कहता है नन्हे खां न हो कछु कपट के पल्ला दिये।१।

मुरशिद बिना सूझै नहीं है आइना गंदा हिये।

कहता है नन्हे खां सबी जां वास हरि हरदम किये।२।