साईट में खोजें

४९३ ॥ श्री यकीन शाह जी ॥


चौपाई:-

सुरति क दण्ड शब्द चौगाना। ख्याल करै तब लगै निशाना।१।

धुनि औ ध्यान नूर लय पावै। सन्मुख राम सिया दरशावैं।२।

अनहद बाजै क्या धुनि प्यारी। तन मन धुनि सुनि होय सुखारी।३।


दोहा:-

कुण्डलिनी षट चक्र औ सातौं कमलन रंग।

सुर मुनि सब के दरश हों जीति जाय जग जंग।१।

कहैं यकीन यकीन हो, जब जियतै ले जान।

सतगुरु बिन कीन्हे सुनो, खुलैं न आँखी कान।२।