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४८२ ॥ श्री सादुल्ला जी ॥


पद:-

अब हीं तो ख्याल नहीं नैकों सोते हो भूल में खर खर खर।

यह भूल शूल सम हो भाई तुमको नहि नेकौं डर डर डर।

यम दूत आनि जब घेरैंगे तूरैं सब तन को चर चर चर।

सब खड़े खड़े पछतावेंगे क्या संग जायगा ज़र ज़र ज़र।

मुरशिद से सीख के सबक ठीक जियतै में यहँ तै कर कर कर।५।

परकाश रूप धुनि ध्यान औ लय मिलि जाय चलौ तब घर घर घर।

यह सूरति शब्द क मारग है या से सब कारज सर सर सर।

कहता है सादुल्ला मस्त रहो अजपा पर सूरति धर धर धर।८।