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४४८ ॥ श्री चाँद खाँ जी ॥


पद:-

घनश्याम मन मोहन छटा अपनी दिखा दीजै हमैं।१।

छटपटाता हूँ बिना देखे कहूँ क्या मैं तुम्हैं।२।

आपने हर काम का पहिलेहि से बाँधा समै।३।

चाँद कहता है जपै हरि नाम सो जग नहि थमै।४।