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४१६ ॥ श्री चँटू शाह जी ॥


गज़ल:-

मुरशिद जिसे मिलैगा उसकी भलाई होगी।

तन मन से वह खिलैगा जग से रिहाई होगी।

जिसकी सुनो ये भाई पिछली कमाई होगी।

फल वह समय पै पाई हर जाँ बड़ाई होगी।

हरि को न जिसने जाना उसकी बुराई होगी।५।

दोज़ख में जाय साना हरदम पिटाई होगी।

मुरशिद बिना ये मन की कैसे सफ़ाई होगी।

ठग तन के देत धमकी कैसे समाई होगी।

शर नाम का चलै जब उनकी भगाई होगी।

चँटू कहैं चलै तब फ़ौरन सुनाई होगी।१०।