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३८५ ॥ श्री बुधई दास जी ॥


पद:-

कृपा करते हैं जब भगवन तभी सतगुरु मिला देते।

गरीबी जीव को आवै तभी अवसर भिड़ा देते।

नाम धुनि ध्यान परकाशा समाधी लय चढ़ा देते।

प्रेम प्याले को भर कर के रूप सन्मुख में छा देते।

बीज जिन सुकृत के बोये वही उनको लखा देते।

कहैं बुधई करो सुमिरन करम असुरन जरा देते।६।