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३७२ ॥ श्री भगवत दास जी ॥

(अवध वासी)

 

 चौपाई:-

बैठे बैठे सुमिरन कीन्हा। तीस बर्ष औ आठ महीना।१।

अन्त समय हरिपुर हम पावा। भगवत दास कहैं मन भावा।२।