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२७७ ॥ श्री बलदी दास जी ॥

  (गाँव- पिपरोला जिला - हरदोई)

पद:-

आपै अपना खेल पसारा।

आपै देखैं आप देखावैं आपै करत बिचारा।

आपै निरगुण आपै सरगुण आपै ध्यान समाधि को धारा।

आपै नाम रूप हैं आपै आपै मातु पिता पति दारा।

आपै मित्र भ्रात सुत भगिनी आपै सुता नात परिवारा।५।

 

आपै राम रावणौ आपै आपै आप को करत संहारा।

आपै कृष्ण कंस हैं आपै आपै शिखा पकरि के मारा।

आपै आवैं आपै जावैं आपै आप को करत उबारा।

आपै काल अकाल आप ही आपै ज्ञान भानु उजियारा।

आपै अगम अपार आप ही आपै अकह अकथ संसारा।१०।

 

आप अथाह अलेख आप ही आप अनूप अमित सुख सारा।

आपै स्वामी आपै सेवक आपै दाता औ भिखियारा।

आपै शिष्य आप ही सतगुरु आपै भव औ खेवन हारा।

आपै पूजा पाठ जज्ञ जप आपै कहैं करैं परचारा।

आपै अपने रूप पै आशिक तन मन प्रेम करत एकतारा।१५।

 

आपै अपने नाम को सुमिरैं आपै बने शब्द रंकारा।

आपै बाजा आप बजावैं आपै गाय रिझावन हारा।

आपै ताल धुनी स्वर आपै आपै खुशी करैं जयकारा।

आपै साँकरि आपै कुण्डी आपै ताली कुलुफ किंवारा।

आपै सुख दुख आपै सहते आपै जान आपै अजान उदारा।२०।

 

आपै मुक्ति भक्ति तप आपै आपै मुद मंगल करतारा।

आपै नर्क स्वर्ग बनि बैठे आपै ता में करत बिहारा।

उत्पति पालन परलय आपै आपै सब कुछ नीक बेकारा।

बल्दी दास कहैं बिन जाने मानि लेंय ते बड़े लवारा।२४।