२४५ ॥ श्री जरासन्धु जी ॥
दोहा:-
भीम से मोहिं मराय हरि, पठय दीन हरि धाम।
ऐसे करुणा सिन्धु हैं, सब में ब्यापक श्याम।१।
जरासन्ध की बिनय यह सब जन लीजै मान।
हर दम हरि सुमिरन करौ छोड़ि कपट अभिमान।२।
दोहा:-
भीम से मोहिं मराय हरि, पठय दीन हरि धाम।
ऐसे करुणा सिन्धु हैं, सब में ब्यापक श्याम।१।
जरासन्ध की बिनय यह सब जन लीजै मान।
हर दम हरि सुमिरन करौ छोड़ि कपट अभिमान।२।