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२०६ ॥ श्री बालि जी ॥


दोहा:-

राम मारि निज बाण ते मम ढिग आये धाय।

करि दर्शन किरतार्थ ह्वै चल्यों बिष्णुपुर भाय।१।

राम नाम में प्रीति जेहि सोई सच्चा दास।

बालि कहैं सो सर्बदा रहै राम के पास।२।