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१५६ ॥ श्री बुल्ला साहेब जी ॥


पद:-

राम ही सब में रमे सब राम ही का खेल है।

जानते बुल्ला वही जिनका हरी से मेल है।

तीनि गुण माया औ पाचौं चोर रोके गैल हैं।

सतगुरु बिना जानै नहीं कोइ यह सिद्धान्त अपेल है।

बासनाओं ने पकड़ कर मन को कीनो जेल है।५।

उठ उठ के सारी पीटतीं बसु याम यही झमेल है।

सुमिरन बिना कटती नहीं यह पाप कर्म कि बेल है।

बीज जिसने खेत में बोया वो धरत सकेल है।८।