साईट में खोजें

८३ ॥ श्री भीम जी ॥


दोहा:-

भीम कहैं पुरुषार्थ से सबै काम बनि जांय।

प्रारब्ध क्रिय माण अरु संचित जात नशाय।१।


चौपाई:-

नाम में सूरति जौन लगावै। हर दम दरशन हरि को पावै।

कमल सहस दल है सुख दाई। तेहि पर यह ब्रह्माण्ड सुहाई।

बिन अधार के तापर सोहै। देखत बनै कहत नहि सोहै।

उमा निरंजन जोति क बासा। शेष सहस फन ऊपर खासा।

याको जानी सोई प्रानी। जो तन मन से हरि रति ठानि।

धुनी ध्यान अन्तर नहिं होई। कहै भीम आवै नहिं सोई।६।