साईट में खोजें

७३ ॥ श्री नारायण दास जी ॥


पद:-

श्री गुरु शब्द बतायो जो है सूरति से जप ठानो।

अजपा जाप इसी को कहते जिह्वा चलै न मानो।

राम नाम की धुनी उठै क्या रोम रोम ते जानो।

राम सिया औ कृष्ण राधिका बिष्णु रमा दरसानो।

जैसी हरि की किरपा होवै वैसे रूप दिखानो।५।

करै न इच्छा लखै चरित बहु यह अचरज मन मानो।

जियत मरै फिर आप को देखै आप में आप समानो।

नारायण धनि धनि गुरू दाया अलखै लखै ठिकानो।८।