३३ ॥ श्री अद्वैताचार्य्य जी कृत संकीर्तन ॥
जारी........
मान अपिमान को लै प्रेम बिरह जरौ रे।
तारि सकौ औरन तब प्रथम आप तरौ रे।
प्रेम योग सिद्धि होय मूर्छि धरनि गिरौ रे।५०।
लय दशा में पहुँचि जाव शून्य माहिं परौ रे।
कभी रहौ ध्यान माहिं आगे नाहिं बढ़ौ रे।
कृष्ण लिये सखा सखी लीला करैं लखौ रे।
शर्म भर्म छूटि जाय कर्म लिखा मिट्यौ रे।
द्वैत भाव रहा नहीं वही वही सट्यौ रे।५५।
नाम जपो नाम जपो नाम माहिं खपौ रे।
मातु बहिन पुत्री सम पर त्रिया को लखौ रे।
अनहद ध्वनि मधुर मधुर श्रवण ते सुनौ रे।
कहन सुनत ते परै हैं मन ही मन गुनौ रे।
रेक टेक मानि ठानि बानि यही गहौ रे।६०।
नाम ही से सुर व मुनी दरश देत सिखौ रे।
वेद शास्त्र वाक्य नाम सार तत्व लिख्यौ रे।
जपो जपो जपो भाय जब लग जग जियौ रे।
नाम रूप चीन्ह भाय पास बास लिह्यौ रे।
राम बिष्णु कृष्ण जपौ राम विष्णु कृष्ण।६५।
तन मन करि प्रेम खपौ राम बिष्णु कृष्ण।
सीता राम राधे श्याम रमा बिष्णु जय जय राम।
सीता राम सीता राम सीता राम जय जय राम।
राधे श्याम राधे श्याम राधे श्याम जय जय राम।
रमा बिष्णु रमा बिष्णु रमा बिष्णु जय जय राम।७०।
श्याम श्याम श्याम श्याम श्याम श्याम जय जय राम।
राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण जय जय राम।
सीता राम सीता राम सीता राम राम राम।
राधे श्याम राधे श्याम राधे श्याम राम राम।
रमा विष्णु रमा विष्णु रमा विष्णु राम राम।७५।
सीता राम सीता राम सीता राम श्याम श्याम।
राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण श्याम श्याम।
रमा विष्णु रमा विष्णु रमा विष्णु श्याम श्याम।
सीता राम सीता राम सीता राम राधे श्याम।
राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे श्याम।८०।
रमा विष्णु रमा विष्णु रमा विष्णु राधे श्याम।
राधे श्याम राधे श्याम राधे श्याम राधे श्याम।
सीता राम सीता राम सीता राम कृष्ण कृष्ण।
राधे श्याम राधे श्याम राधे श्याम कृष्ण कृष्ण।
रमा बिष्णु रमा बिष्णु रमा बिष्णु कृष्ण कृष्ण।८५।
राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण कृष्ण कृष्ण।
सीता राम सीता राम सीता राम बिष्णु बिष्णु।
राधे श्याम राधे श्याम राधे श्याम बिष्णु बिष्णु।
राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण बिष्णु बिष्णु।
रमा बिष्णु रमा बिष्णु रमा बिष्णु बिष्णु बिष्णु।९०।
सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम।
राधे श्याम राधे श्याम राधे श्याम राधे श्याम।
राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण।
रमा बिष्णु रमा बिष्णु रमा बिष्णु रमा बिष्णु।
राम बिष्णु कृष्ण भजो राम बिष्णु कृष्ण।९५।
जारी........