साईट में खोजें

३२ ॥ श्री भगवन्त दास जी ॥


दोहा:-

श्याम के सन्मुख राधिका, राधे सन्मुख श्याम।

राम के सन्मुख सिया हैं, सिया के सन्मुख राम।१।

श्री के सन्मुख विष्णु हैं, विष्णु के श्री को जान।

यह लीला सोई लखै, जा पर कृपा महान।२।