साईट में खोजें

२० ॥ श्री नवी जी ॥


गज़ल:-

सिय राम के भजन बिन जग काम धाम फीका।

परलोक लोकहु में जो सब के शिर का टीका।

सतगुरु से जान करके यह सीख लो तरीका।

हर दम ही दरशन होवैं वन्धन छुटै गजी का।

सोते हौ मोह निशि में परदा पड़ा दुई का।५।

जागो उठो तो चेतो सुमिरन करो हरी का।

हरि भजन करने आया यमराज हाथ वीका।

वादा किया गरभ में मानो वचन नवी का।८।