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१८८ ॥ श्री यशोदा जी ॥


दोहा:-

श्री कृष्ण ने नाम विधि, हमको दीन बताय ।

बिना नाम जाने कोई, मेरे ढिग नहिं जाय ॥१॥

नाम कि गति अति ऊँचि है, नाम रूप ह्वै जाय ।

या से माता नाम में, लीजै चित्त लगाय ॥२॥

रोम रोम ते धुनि उठै, ररंकार मम नाउँ ।

यही बीज शिव जी जपैं, यही के हाथ बिकाउँ ॥३॥